धीरे धीरे सब दूर होते गए |
धीरे धीरे सब दूर होते गए, वक़्त के आगे मजबूर होते गए ।
रिश्तो में हमने ऐसी चोट खायी की , बस हम बेवफा और सब बेक़सूर होते गए.
आँखे हंसती है मगर दिल रोता है|
किस्मत में कभी ये भी होता है,आँखे हंसती है मगर दिल रोता है|
जिसे मानते है हम मंज़िल अपनी,हमसफर उसका कोई और ही होता है|
चाहत हे किसी चाहत को पाने की |
चाहत हे किसी चाहत को पाने की,चाहत हे चाहत को आजमाने की,
वो चाहे हम चाहे या न चाहे,पर चाहत हे उसकी चाहत में मिट जाने की|
बेहतर से बेहतर को तलाश करो |
बेहतर से बेहतर को तलाश करो ,मिल जाये नदी तो समंदर तलाश करो ,
टूट जाता है शीश हर पत्थर की चोट से ,टूट जाये पत्थर वो शीश तलाश करो |
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